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साहित्य-संस्कृति
पुस्तक समीक्षा : समाज की धड़कन है ‘साझा मन’
वसुधा जी ने अपने आसपास के परिवेश, वर्तमान समय में व्यवस्था में फैली अव्यवस्थाओं, विसंगतियों, विकृतियों, विद्रूपताओं के प्रति उनकी जो अनुभूतियाँ, संवेदनाएं हैं,…
जानिए उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की कुछ प्रासंगिक बातें
यथार्थवादी चरित्रों को रचने वाले 'कलम के सिपाही' प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था।
यथार्थ की बोध कराती हैं महाकवि निराला की रचनाएं
वह तोड़ती पत्थर, इलाहाबाद के पथ पर... रचना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। उनकी रचनाओं में लोगों के दुख-दर्द की झलक तो मिलती ही है, यथार्थ का भी बेबाकी से बोध कराती…
कविता में प्रकृति का सुवास बिखरने वाले अनुपम चितेरे कवि सुमित्रानंदन पंत
अपनी कविताओं में प्रकृति की सुवास को चहुंओर बिखेरने वाले चितेरे कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा (उत्तर प्रदेश) के कौसानी गांव में 20 मई, 1900 को हुआ था।
वैश्विक पटल पर धाक जमाती हिन्दी
हिन्दी, हिन्द और हिन्दुस्तान, ये तीनों एक देश, एक संस्कृति और एक हीं समाज के पूरक है। सीना गर्व से तब और भी चौड़ हो जाता है जब आपनी भावनाओं में बसने वाली भाषा…